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ये पेशकश बनाम 'मक़ालाते अह़सनी' हज़रते अ़ल्लामा मुह़म्मद क़ासिमुल क़ादिरी अल अज़हरी हफ़िज़हुल्लाहू तआ़ला के मक़ालात का मजमूआ़ है। ये मक़ालात मुख़्तलिफ़ मौज़ूआ़त पर मुश्तमिल हैं। इस में इ़ल्मी, तहक़ीक़ी, इस्लाही़ और अदबी वग़ैरा हर तरह के मक़ालात देखने को मिलते हैं। बेशतर मक़ालात हिन्दी ज़बान में हैं और कुछ उर्दू और अंग्रेज़ी ज़बान में हैं। अ़ल्लामा मुह़म्मद क़ासिमुल क़ादिरी अल अज़हरी साहि़ब बयक वक़्त एक अच्छे ख़तीब, आ़लिम और लिखारी हैं। मौसूफ़ के लिखने का अंदाज़ सबसे जुदा है और एक ख़ास बात जिसका ज़िक्र करना यहां ज़रूरी मालूम होता है वो ये है कि लिखते वक़्त इमला, तलफ़्फ़ुज़ और रुमूज़ो अवक़ाफ़ का बहुत ज़्यादा ख़याल रखा गया है जो कि उमूमन हमारे मुल्क में कुतुब में देखने को नहीं मिलता और फिर जब हिन्दी ज़बान की किताबें हों तो बिल्कुल भी नहीं। मेरी इस बात से आप ज़रूर इत्तिफ़ाक़ करेंगे जब मक़ालात को मुलाहिज़ा फ़रमाएँगे।

इस में दिसंबर 2023 तक के अक्सर मक़ालात को शामिल कर लिया गया है, तमाम मक़ालात का इहा़ता न हो सका।